
(1) चीन के वुहान में मेरा जन्म हुआ
देखते ही देखते मैं पूरी दुनिया में अमर हुआ
अमेरिका जैसे सुपरपावर भी सोच में पड़ गए
यह क्या हुआ, कैसे हुआ?
बताओ मैं कौन हूँ?
(2) लगता हूँ खांसी जुकाम जैसा
असली रूप मेरा विभत्स ऐसा
चौदह दिन में साँस रोक दूँ
अच्छे भले को कर दूँ शव जैसा!
बूझो तो मैं कौन हूँ?
(3) प्रकृति की छटा हुई है और सुंदर
हरे हो रहे हैं पेड़ नीले समुंदर
मैं तो अदृश्य हूँ दिखता नहीं
मारता हूँ साँस से घुसकर अंदर
बोलो तो मैं कौन हूँ?
(4) लॉकडाउन, मास्क, दूरी जैसे नए शब्द सिखाए मैंने
जो कभी देखे न थे ऐसे नज़ारे दिखाए मैंने
जिसने की मेरे तिरस्कार की हिमाक़त
उसकी कब्र खुदवाई मैंने
अब तो बताओ मेरा नाम?
(5) लगी है दुनिया वैक्सीन खोजने
दवा और काढ़े के फ़ायदे टटोलने
घर में क़ैद रहकर ही बच सकते हो
बाहर जाने के अंजाम है घिनौने
अब तो बताओ मैं कौन हूँ?
(6) आदमी ने बना दिया था धरती को नर्क
इसलिए मुझे सिखाना पड़ा ये कड़वा सबक़
जब उसे एहसास हो जाएगा अपनी भूल का
निकल जाऊँगा मैं लेकर पतली सड़क!
हार गए के जीतोगे मेरा नाम बताकर?
पता नहीं था तुम हिन्दी कविता में भी प्रवीण हो, बहुत अच्छा लिखा है। ऐसा तो नहीं दाएं और बाएं दोनो हाथों से भी लिख लेते हो।
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🙏
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Too good 👍🏻
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Thanks Meena
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Sir, you are Doctorate of languages who not only writes empirically , poetically but also have meaningful sarcasm to convey message. One of this Hindi Blog was stunner.
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You are a friend and a fan; so you rate me very high
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